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नमो नारायण । नारायण बलि की आवश्यकता क्यों ? नारायण बलि श्राद्ध से तातपर्य क्या है ? प्राणी के दुर्मरण की निवृत्ति के लिये (अकाल मृत्यु को प्राप्त ) नारायण बलि करने की आवश्यकता होती है ।दुर्मरण (आकाल मृत्यु )की आशंका न रहने पर नारायन बलि करना अनिवार्य नही ।

शास्त्रों में दुर्मरण (अकाल मृत्यु )के निम्लिखित कारण कारण परिभाषित किये गए है -अग्नि में जलने ,पानी मे डूबने , अभिचारिक कर्म (मारण ,मोहन ,उच्चाटन आदि ),ब्राह्मण के द्वारा सिंह ,व्याघ्र ,हिंसक पशुओं के द्वारा ,सर्पादि ,ब्रह्मदंड के द्वारा ,विधुत ,सांड आदि सिंग वाले जानवरों के द्वारा इत्यादि के कारण जिनकी मृत्यु होती है उन्हें दुर्मरण (अकाल मृत्यु की )संज्ञा दी गई है ।

नारायण बलि श्राद्ध कब करें इसका उपयुक्त समय व स्थान क्या है ? नारायनबली श्राद्ध मुख्य रूप मृत्यु के ग्यारहवें दिन या बारहवें दिन करनी चाहिए ,अगर प्राणियों के मृत्यु के कई वर्ष पश्चात पीड़ित होने के कारण कर रहे तो इसे तीर्थो पर करना ही उचित होता है नारायण बलि श्राद्ध के लिये मुख्य रूप किसी नदी तीर्थ के किनारे पर ,सरोवर के किनारे पर ,पीपल वृक्ष के नीचे ,शालिग्राम शिला के समीप ,का स्थान ही शास्त्रों के अनुसार उपयुक्त माना गया है ।

Pt. Gokul dubey Pind bechi vishnupad Dist gaya ji bihar Mob 9334720974 .7781959952 .

इस श्राद्ध के बिना मृत प्राणी के निमित दिया गया पदार्थ उस प्राणी को प्राप्त नही होता ,विनष्ट हो जाता है । परम्परावशात कुछ लोग के मत में प्राणी के सदगति के निमित मृत्यु के समय करने की शास्त्रों में जो व्यवस्था बताई गई है ,प्राणियों के साथ अंतिम समय में पूर्ण न होने के कारण उसे भी दुमृत्यु (अकाल )मृत्यु मानते है । अतः इस प्रकार के मृत्यु होने पर प्राणियों के सदगति हेतु नारायण बलि श्राद्ध करनी चाहिए ।